आकड़ा का पौधा (Calatropis Plant)

परिचय :

आकड़ा का पौधा 120 सेमी से 150 सेमी लम्बा होता है। यह जंगल में बहुत मिलता है। कैलोट्रोपिस जाइगैण्टिया नाम से यह होम्योपैथी औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।

आकड़े के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करना : आकड़े के पत्ते, फूल या अन्य कोई भाग अधिक सेवन करने से दुष्परिणाम उत्पन्न हो गये हों तो ढाक (पलाश) के पत्तों को उबालकर उसका पानी पीने से आकड़े की विषाक्तता दूर हो जाती है। आकड़े का दूध लगाने से घाव हो जाये तो भी इसी पानी से घावों को धोयें।

 

विभिन्न रोगों में सहायक :

  1. बवासीर : सूर्योदय से पहले आकडे़ की 3 बूंद दूध बताशे में डालकर खाने से बवासीर में लाभ होता है।
  2. आधे सिर का दर्द : यदि दर्द सूर्योदय के साथ बढ़ता-घटता हो तो सुबह सूरज उगने से पहले 1 बताशे पर 2 बूंद आकड़े के दूध को टपकाकर खांये। शीघ्र ही लाभ होगा।
  3. घट्टा (कार्न) : आकड़े का दूध और गुड़ दोनों को समान मात्रा में मिलाकर घट्टा (आटण) पर लगाने से घट्टा ठीक हो जाता है।
  4. पेटदर्द : आकड़े के जड़ की छाल, नौसादर, गेरू, कालीमिर्च सभी समान मात्रा में 1-1 चम्मच लेकर पीस लें। इसमें आधा चम्मच कपूर पीसकर मिला लें। गर्म पानी से इसकी आधी चम्मच फंकी लेने से पेट में दर्द, कब्ज, दस्त, तिल्ली, यकृत आदि पेट के सभी रोग, सर्दी, खांसी, बुखार में लाभ होता है।
  5. दमा कफयुक्त : आकड़े के चार पत्ते, आठ चम्मच कालीमिर्च दोनों को एक साथ बारीक पीसकर मटर के दाने के बराबर गोलियां बना लें। दस दिन तक इसकी एक गोली सुबह-शाम गर्म पानी से लें। दमा कफयुक्त, खांसी, हिस्टीरिया में लाभ होगा।
  • आकड़े का एक पत्ता 25 कालीमिर्च के साथ पीसकर कालीमिर्च के बराबर ही गोलियां बना लेते हैं। 7 गोली वयस्कों को तथा दो गोली बच्चों को देने से दमा (श्वास) रोग नष्ट हो जाता है।स्नेहा समुह
  • धाणी (सिंके हुए जौ) को आधा कप आकड़े के दूध में 15 दिन तक भिगो दें। इसके बाद सुखाकर पीस लें। इसे चौथाई चम्मच की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर एक बार नित्य चाटें। दमा में लाभ होगा है।
  • आकड़े के पत्ते का छोटा-सा टुकड़ा पान में रखकर नित्य 40 दिन तक खाने से हर प्रकार का दमा, खांसी ठीक होता है।
  1. यक्ष्मा (टी.बी.) : आकड़े का 4 चम्मच दूध और 200 ग्राम पिसी हुई हल्दी मिलाकर पीसें। पीसते-पीसते सूख जाने पर शीशी भरकर रख लें। यह पाउडर एक चने के बराबर आधा चम्मच शहद में मिलाकर नित्य 4 बार चाटें। टी.बी. के रोगी 3 माह में ठीक हो जायेंगें। टी.बी. में रक्त की उल्टी भी ठीक हो जायेगी। टी.बी. के असाध्य रोगी भी लाभान्वित होंगें।
  2. बुखार : आकड़े की कोंपल आखिरी छोर (नया पत्ता) नागरबेल के पान में रखकर थोड़ी सी सौंफ डालकर चबायें, रस चूसते जायें। इससे हर प्रकार का बुखार, मलेरिया, वायरल, सामान्य बुखार एक बार लेने से ठीक हो जाते हैं।
  3. मलेरिया : आकड़े के फूल की दो डोडी (बिना खिले फूल) जरा-से गुड़ में लपेटकर मलेरिया ज्वर आने से पहले खाने से मलेरिया नहीं चढ़ता है।
  4. बाला : तिल का तेल गर्म करके बाला निकलने के स्थान पर लगायें। आकड़े का पत्ता गर्म करके उस पर यही तेल लगाकर बांध दें। आकड़े के फूल की डोडी के अंदर का छोटा टुकड़ा गुड़ में लपेटकर खाने से बाला नष्ट हो जाता है। बाला रोग ठीक हो जायेगा।
  5. जुकाम : जुकाम हो, नाक बंद हो तो आकड़े के 2 चम्मच दूध में 2 चम्मच चावल भिगों दें और छाया में पड़ा रहने दें। जब सूख जाये तो पीसकर कपड़े से छान लें। इसे जरा-सा सूंघें। नाक छींकें आकर खुल जायेगी, जुकाम ठीक हो जायेगा। रुका हुआ पानी टपकने लगेगा। इसे सूंघने से छीकें अधिक आयें तो देशी घी गर्म करके सूंघे।
  6. एड़ियों का दर्द : एक मुट्ठी आकड़े के फूल 2 गिलास पानी में रात को उबालें और इसकी भाप से एड़ियों को सेंके। इसके बाद गर्म-गर्म फूलों को एड़ियों पर बांध लें। एक सप्ताह नित्य इस प्रकार करते रहने से एड़ियों का दर्द दूर हो जायेगा। शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो तो इस प्रयोग से लाभ होगा।
  7. पथरी : आकड़े के 10 फूल पीसकर 1 गिलास दूध में घोलकर प्रतिदिन सुबह 40 दिन पीने से पथरी निकल जाती है।स्नेहा समुह

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